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भोजन कीजै प्रान-पिआरी / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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भोजन कीजै प्रान-पिआरी।
भई बड़ी बार हिंडोले झूलत आज भयो श्रम भारी।
बिंजन मीठे दूध सुहातो लीजै भानु-दुलारी।
स्याम-स्याम चरन कमलन पर ’हरीचंद’ बलिहारी॥