भोजन में गो मांस की, मांग करें शैतान।
ये कैसे हैं पाहुना, हरिये इनके प्राण॥
हरिये इनके प्राण, गाय है रीढ़ तंत्र की।
निःश्रेयस समृद्धि प्रभा है यही मंत्र की॥
धृतरूपा वात्सल्य, राष्ट्र की उन्नति गोधन।
गो रक्षण संकल्प, सतत हो सात्विक भोजन॥
भोजन में गो मांस की, मांग करें शैतान।
ये कैसे हैं पाहुना, हरिये इनके प्राण॥
हरिये इनके प्राण, गाय है रीढ़ तंत्र की।
निःश्रेयस समृद्धि प्रभा है यही मंत्र की॥
धृतरूपा वात्सल्य, राष्ट्र की उन्नति गोधन।
गो रक्षण संकल्प, सतत हो सात्विक भोजन॥