भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भोपालःशोकगीत 1984 - मेरे शहर का नाम / राजेश जोशी
Kavita Kosh से
मैं नहीं चाहता
कि जब भी लूँ
मैं अपने शहर का नाम
दूसरा पूछे
क्या हुआ था उस रात?
कैसे हुआ वह सब कुछ?
मुझे आज तक कोई नहीं मिला
जिसने कहा हो
मैं हिरोशिमा से आया हूँ
मैं आया हूँ नागासाकी से
क्या मुँह लेकर जाऊँ मैं
दूसरों के सामने?
किस मुँह से कहूँ
कि मैं आया हूँ
किस शहर से !