भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भोरे-भोर / शिव प्रसाद लोहानी
Kavita Kosh से
दुम्भी के छाती पर शीत के हीरा
ममता के भार से भरल हे मीरा;
कारीख पर लाले लाल पताका उड़इलक
नभ के मांग मे सेन्दूर लगइलक ।