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भोर छोरी खातर / सांवर दइया
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अगूण में सिंदूरी उजास :
जाणै जवान हुवती छोरी रै
उणियारै आवती ओप
सिंदूरी सूरज :
जाणै अबार अबार घड़वायोड़ो
सोनै रो नुंवो टीको
भोर छोरी हुसी स्याणी जद
काम आसी
आ चींतै
कुदरत-मा !