मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
भोर भेलै रे जटा भिनसरबा भेलै रे
जटा छोड़ि दे अँचरबा
हम तँ अंगनमा बहारबै रे
मैया बहारतै गे जटिन
बहिनियां बहारतै गे
जटिन आजू के भिनसरबा
हम तऽ पलंगे गमेबै गे
माय की कहथिन रे जटा
बहिन की कहथुन रे
सारी अंगना के लोगबा
तऽ हमरे दुसतै रे
माय की कहतै गे जटिन
बहिन की कहतै गे
हम्मर अंगना के लोगबा जटिन
किछु नै बोलतै गे
जटिन आजुक भिनसरबा
हम तऽ पलंगे बितेबै गे