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भोर भेल बेटी उठल अम्माँ आगे खड़ा भेल हे / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
भोर भेल<ref>हुआ</ref> बेटी उठल अम्माँ आगे खड़ा भेल हे।
कउन पुर्बीला<ref>पूर्व जन्म</ref> अम्माँ चूक भेल, सामी<ref>स्वामी</ref> पइली<ref>पाई</ref> मूरख हे॥1॥
किया बाबू, दान दहेज जौतुक<ref>यौतुक, विवाह के समय दुलहे या दुलहन को दिया जाने वाला दान-दहेज</ref> कुछ कम भेल हे।
किया बाबू, धिया हे कुमानुख<ref>असभ्य, अशिष्ट</ref> मुखहुँ न बोली बोले हे।
काहे मन थोड़<ref>थोड़ा, छोटा</ref> भेल हे॥2॥
न सासु, दान दहेज जौतुक कुछ कम भेल हे।
न सासु, धिया हे कुमानुख, मुखहुँ न बोली बोले हे॥3॥
अस्सी कोस से अयली रहिये<ref>रास्ते का</ref> फेदायल<ref>थका हुआ। मिला. - फेनायल, फेन छूटना</ref> हे। हे।
आजु हम धानि के संबोधब<ref>मनाऊँगा, प्रबोधूँगा</ref> धानि के मनायब हे॥4॥
शब्दार्थ
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