भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भोर सूं आथण तांई / सांवर दइया
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
भोर सूं आथण तांई
चाल्यां जा तूं थाकण तांई
थारी रोसणी थारै मांय
करसी झाड़ा-जागण कांई
दो मीठा बोल ई कौल है
जीणो मरणो साथण तांई
आ रंग दिखावैला जरूर
ठहर जा पीड़ पाकण तांई
आ कलम काळी क्यूं करै तूं
कूड़ा वाचा भाखण तांई