भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भोळा / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भूल‘र
आपरो सभाव
कोनी छोडै
सूळां री देखादेखी
मुरझायां पछै डाळ
केई भोळा फूल,
कोनी समझै
डफोळा
रूसग्यो बां स्यूं
मूळ !