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भोळा / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
भूल‘र
आपरो सभाव
कोनी छोडै
सूळां री देखादेखी
मुरझायां पछै डाळ
केई भोळा फूल,
कोनी समझै
डफोळा
रूसग्यो बां स्यूं
मूळ !