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भ्रमे भूले मलिंदनि देखि नितै / द्विज

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भ्रमे भूले मलिंदनि देखि नितै, तन भूलि रहैं किन भामिनियां।
द्विजदेव जू डोली-लतान चितै, हिये धीर धरैं किमि कामिनियां॥
हरि हाई ! बिदेस में जाइ बसे, तजि ऐसे समैं गज गामिनियां।
मन बौरे न क्यों सजनी ! अब तौ, बन बौरीं बिसासिनी आमिनियां॥