भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भ्रम / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेमी सोचता है कि
उसकी आँखों की भाषा सिर्फ वही पढ़ रही है
उसके संकेतों का अर्थ सिर्फ वही समझ रही है

इस तरह का भ्रम प्रेमिका को भी होता है

भ्रम न हो तो बताइये प्रेम कैसे हो!