भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भ्रूण-हत्या / कमलेश कमल
Kavita Kosh से
प्यार का चरमोत्कर्ष
दैहिक एकीकरण
अर्धनारीश्वर पूजन
प्रसाद के दो बूँद
बीज तैयार करते हैं
कई कुमुदिनी
जो सरोवर की शोभा बनतीं
नहीं देख पातीं
इस दुनिया कि धूप
रौंद दी जाती हैं
निर्ममता से
खिलने के पहले ही
जातक कमल की चाह में
प्रश्न तो उठता है
कि ऐसे नर-पिशाच
जो नहीं समझते
जीवन का चक्र
आख़िर क्यूँ होते हैं
अभिसरित?