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भ्रूण हत्या पाप है / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
भ्रूण हत्या पाप है, कर रहे जो आप हैं,
कैसी मां है निर्दयी, कैसे निष्ठुर बाप हैं।
कन्या पूजन करते सब, और तू हत्या कर रहे,
कन्या होती लक्ष्मी, दुर्गा, जान लें क्या कर रहे,
ममता का आंचल कलंकित, बेटियों के प्रलाप हैं।
कितना घृणित कार्य है, बेटी को गर्भ में मारना,
बेटी को आने दो जग में, बदलो घटिया धारणा,
बेटी से आंगन सुशोभित, सकल पूजन जाप है।
कन्या का जो दान करते, उनका जीवन है सफल,
दोनों कुल का मान रखती, बेटी की महिमा प्रबल,
कितनी प्रतिभा मारते हैं, कितना लेते श्राप हैं।