गाँव की नाथीबाई
जन्म दे रही है
नौ लड़कियों के बाद
दसवीं संतान को
ताकि पूरी हो सके
उसके पति व सास की
बेटे की हसरत
शहर की सरिता की
गोद सूनी है
बच्चे से
क्योंकि शादी के बाद
लगातार तीसरी संतान
मार दी गई
गर्भ में
पुत्र की चाह में
नहीं जानती हैं
नाथीबाई व सरिता
एक- दूसरे को
मगर बहुत गहरा रिश्ता है
दोनों का
कन्या भ्रूण हत्या से
दोनों ने झेला है
इस चुभन को
पुत्र की हसरत
करती है सदा
नारी को गौण
एक माँ को
अस्तित्वहीन !