भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मंगलाचरण / रामधारी सिंह ‘काव्यतीर्थ’
Kavita Kosh से
सब विद्वानें कहै छै, भारत मुनि के देश।
कर जोड़ी विनती करौं बारंबार गणेश।।
गुरुवर हमरा बुद्धि देॅ करभौं शुभ गुणगान।
विश्वामित्र चरित्रा केॅ करौं पूर्ण सम्मान।।