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मंगल आरति प्रिया प्रीतम की / जुगलप्रिया

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मंगल आरति प्रिया प्रीतम की मंगल प्रीति रीति दोउन की।
मंगल कांति हँसाने की दसनानन की मंगल मुरली वीना धुनि की॥
मंगल बनिक त्रिभंगी हरि की मंगल सेवा सब सहचरि की।
मंगल सिर चंद्रिका मुकुट की मंगल छबि नैननि में अटकी॥
मंगल छटा फबी अंग-अंग की मंगल गौर श्याम रस रंग की।
मंगल अति कटि पियरे पट की मंगल चितवनि नागर नट की॥
मंगल सोभा कमल नैन की मंगल माधुरी मृदुल बैन की।
मंगल बृंदाबन मग अटकी मंगल क्रीडन जमुना तट की॥
मंगल चरन अरुन तरुवन की मंगल करनि भक्ति हरिजन की।
मंगल जुगल प्रिया भावन की मंगल श्री राधाजीवन की॥