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मंच और जीवन / हाइनर म्युलर / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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मंच पर हैमलेट था
फिर ओफ़ेलिया आई
डारयेक्टर की हिदायत के मुताबिक
उसे हंसना था
वह हंस दी
मैंने देखा —
उसके दाँत बेतरतीब थे
डायरेक्टर को बहुत कुछ कहना था
हैमलेट और ओफ़ेलिया ने काफ़ी कुछ कहा
कुछ-कुछ मैं समझता भी रहा
होना या न होना यही था सवाल
और फिर मैं भूल गया
बाहर निकलने के बाद
सिर्फ़ इतना याद रहा :
ओफ़ेलिया के दाँत बेतरतीब थे
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य