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मंज़र कितना अच्छा होगा / शहरयार
Kavita Kosh से
मैं सुबह सवेरे जाग उठा
तू नींद की बारिश में भीगा, तन्हा होगा
रस्ता मेरा तकता होगा
मंज़र कितना अच्छा होगा।