मंजिल जीवन की पाना है।
तो सच का साथ निभाना है॥
जन्मोत्सव हो या मृत्यु दिवस
इक नूतन पौध लगाना है॥
फिर से वट पीपल छाँव तले
अपना सुख-सदन बनाना है॥
सुख-दुख के इस दोराहे पर
क्षमता का बीज उगाना है॥
हो धूल न धुँआ कहीं जग में
सबको यह पाठ पढ़ाना है॥
नफरत करने वाले जग को
ममता के पथ पर लाना है॥
वंदना योग्य भारत अपना
साबित करके दिखलाना है॥