Last modified on 11 दिसम्बर 2015, at 10:07

मंजिल दूर तो है लेकिन / अशोक शर्मा

मंजिल दूर तो है लेकिन, तुम हिम्मत कर के चलो!!
राह मुश्किल हों तो हों, तुम प्यार के रंग भर के चलो!!

जिंदगी तो सुलगती रहती है सदा कशमकश में मगर,
रोज़मर्रा की ज़दोजहद से तुम निकल उभर के चलो!!

कभी समझेगा कोई तेरी उलझनों के तानो-बानो को,
तुम इस ख्याल को अपने ज़ेहन से अलग कर के चलो!!

सुना करते थे के जिंदगी को जिंदादिली का नाम है,
सो तुम सीना तान के जूझो और हों निडर के चलो !!

ग़मों के अंधेरों में उम्मीदों का दिया जलाये रखना,
भूल के कल की बीती बातें, आज को बना संवर के चलो!!