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मंत्री-अफ़सर दोनों भोग-विलास में डूबे हैं / डी. एम. मिश्र

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मंत्री-अफ़सर दोनों भोग-विलास में डूबे हैं
जनता से बोलें हैं मगर विकास में डूबे हैं।

परदे के पीछे ये क्या -क्या खेल खेलते हैं
आँख मूँदकर लोग मगर विश्वास में डूबे हैं।

मेरे पूरे देश में जब पतझर ही पतझर है
मुगल गार्डेन के भँवरे मधुमास मे डूबे हैं।

कहाँ गये जो मासूमों के हक़ में लड़ते थे
बड़े-बडे़ कवि भाषा में , अनुप्रास में डूबे हैं।

आप सदन में बैठ के वहाँ मलार्इ्र काट रहे
सत्तर फ़ीसद लोग यहाँ संत्रास में डूबे हैं।