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मंत्र-मुग्ध प्रकाश का स्तोत्र / पाब्लो नेरूदा / प्रतिभा उपाध्याय
Kavita Kosh से
पेड़ों के प्रकाश के नीचे
गिरा दी गई है ऊँचे आकाश से,
रोशनी
हरे रंग की
शाखाओं की जाली की तरह,
जो चमकती है
हर पत्ते पर,
नीचे बहती स्वच्छ
सफ़ेद रेत की तरह ।
झींगुर ऊँचा उठ रहा है
अपने आरा घर से
खोखलेपन के ऊपर I
विश्व है
पानी का डबाडब भरा
एक गिलास II
मूल स्पेनिश से अनुवाद : प्रतिभा उपाध्याय