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मइया-मइया हम पुकारूँ सपनमा में / सिलसिला / रणजीत दुधु
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मइया मइया हम पुकारूँ सपनमा में
मइया बेटा-बेटी बोले अँगनमा में।
मातरी रीन से कोय होत नय उरीन
चाहे कतनो पंड़ित हो कुशल प्रवीण
मइया बसइले रहे हिरदा-नयनमा में
मइया मइया हम पुकारूँ सपनमा में।
कोख में रखलक पिलयलक अपन दूध
बेटा के पोसे में खो देलक सूध-बूध
माय के परान बसे बेटे के परनमा में
मइया मइया हम पुकारूँ सपनमा में।
ममता के माल जानलूँ मइया से दूर होके
दूर होलूँ ममता से जवानी में चूर होके
सिर दख देम अपन मइया के चरणमा में
मइया मइया हम पुकारूँ सपनमा में।
मेहरी के फेरा में देहरी के छोड़लूँ
मइया के अँचरा के सिर पर न´ ओढ़लूँ
न´ मिले मिसरी घोरल बचनमा में
मइया मइया हम पुकारूँ सपनमा में।