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मइया तुम नाहक खिसयातीं / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
मइया तुम नाहक खिसयातीं।
इनके कँयँ लग जाती।
पानी मिला दूध में बैचैं।
तासें गाड़ौ कातीं।
जे तौ अपने सगे खसम खाँ।
साँसौं नई बतातीं।
ईसुर जे बृज की बृजनारीं।
धजी कै साँप बनातीं।