भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मईया अब तुम ही समझाओ / अभिषेक कुमार अम्बर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मईया अब तुम ही समझाओ
मन में प्रश्न उभरता है
रात होते ही चंदा क्यों
मेरा पीछा करता है?

मैं जो चलूँ तो चलने लगता
रुक जाऊँ तो रुक जाता है
मैं जो हँसू तो हँसने लगता
शरमाऊँ तो शरमाता है।

मईया बोली सुन रे बेटा,
इसमें नहीं दुराहा है
वैसे भी चंदा तो बेटा
लगता तेरा मामा है।

जैसे भौरा रस की खातिर
फूलों पर मंडराता है
अंबर अवनी को बाँहों में
भरने को हाथ बढ़ाता है।

वैसे ही चंदा भी तुझपर
अपना प्यार लुटाता है
इसलिए वह हर पल
तेरे पीछे-पीछे आता है।