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मकान का घर / पुष्पिता
Kavita Kosh से
हर मकान के भीतर
एक घर होता है
मकान टूटने से पहले
घर टूटता है
घर से पहले
संबंध से पहले
दिल
अलग होता है
जैसे - दीवार से
अलग होती है - ईंट
और एक
छेद बन जाता है
भीतर का सब
बाहर को आँखों का
हिस्सा बन जाता है
बिखर जाता है -
किसी फूल की पाँखुरी की तरह
कि पाँखुरी देखकर
पहचान पाना कठिन
कि यह किसी फूल की
देह का हिस्सा है ।