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मखऽ एखली खऽ कसो छोड़ गयो रे मऽराऽ वीर / पँवारी

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मखऽ एखली खऽ कसो छोड़ गयो रे मऽराऽ वीर
आबऽ राखी पऽ मऽरा घरऽ कोन आहे रे बन्दु
तू काहे मऽसीऽ रूठ गयो रे मऽरो बन्दु
कऽ आब राखी को ऽ बान्धु रे मऽरो बन्दु
तू काहे छोड़ खऽ चल्यो रे मऽरा वीर
माय एखली कसी रहे घर मऽ...मऽरो वीर
मऽरोऽ दादा आब कोखऽ डाट्हे रे भैया...
उठजा रे मऽरो लक्षमन, कई ते बोल रे मऽरो भैया
अधरऽ में छोड़ खऽ काहे चल्यो रे मऽरो बन्दु
मऽरा बन्दु खऽ कोकी लगी नजर मऽराऽ दादा रे...