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मचलें पाँव / कृष्णा वर्मा

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1
मचलें पाँव
कह रहे मन से
आ चलें गाँव।
2
कहता मन
गाँव रहे न गाँव
केवल भ्रम।
3
ली करवट
शहरीकरण ने
गाँव लापता।
4
मेले न ठेले
न खुशियों के रेले
गर्म हवाएँ।
5
वृक्ष न छाँव
नंगी पगडंडियाँ
जलाएँ पाँव।
6
शहरी ताप
चहुँ ओर विकास
मरा है हास।
7
बदले ग्राम
वाहनों के शोर से
चैन हराम।
8
शहरी हुए
गाँव की यादें अब
आँखों से चुएँ।
9
गाँव बेहाल
शहरी हवाओं ने
लूटा ईमान ।
10
सिर पे भार
लाँघे बीहड़ रास्ते
गाँव की नार ।