मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मचिया बैसलि अहाँ कनियां से कनियां सुहबे
झाड़थि नामी नामी केश हे
पलंगा बैसल अहाँ दुलहा से फल्लां दुलहा
निहारथि बदनि शरीर हे
जेहो किछु मांगब धनि सेहो किछु मांगि लीअ
इहो थिक कोबरक रीत हे
एक तऽ मंगइ छी प्रभु डुमरीक फुलबा
दोसर बधक दूध हे
बारह बरख हम निकुंजवन सेवल
तइयो नहि मिलल डुमरीक फूल हे
बारह बरख हम निकुंजवन सेवल
तइयो ने मिलल बाघक दूध हे
हाटे बजार सौं सिनूर मंगायब
दूनू मिल भोगब संसार हे
हाटे बजार सँ मधुर मंगायब
दूनू मिलि जोड़ब सिनेह हे