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मछरीमार / पतझड़ / श्रीउमेश
Kavita Kosh से
खेतो-खदहा के पानी सुखलै एखनी समतैलोॅ छै।
छौड़ा-सीनी मछरी मारैलै देखोॅ उमतलोॅ छै॥
मछरी मारी केॅ लौटलोॅ छै, हे देखोॅ लच्छो गोढ़ी।
महाजाल, हड़िया-मेटिया सैरोॅ डलिया ओढ़ी-ओढ़ी॥
रेहू-गैन-झींगा पोठियाँ गरै, मौंगरी छै कतली।
सुंगठी लेॅ छौड़ाँ लानै छै, बिछो-बिछो ननकी मछली॥
लच्छो गोढ़ी के हिस्सा में, ऐलोॅ तीन बुआरी छै।
एकरैलेॅ झगड़ा बढ़लोॅ छै, करलेॅ मारा मारी छै॥
माथोॅ फुटलै लच्छोॅ के, दौड़ी केॅ गेलोॅ छेॅ थाना।
बन्दर-बाँट करलकै यैठाँ, छौड़-छौड़ मन माना