भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मछली खा गई गप से / श्रवण कुमार सेठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक एक दाने चख कर
चींटी लाई शक्कर
चला हवा का झोका
चींटी ने भी रोका
हवा एक ना मानी
की ऐसी मनमानी
शक्कर चला लुढ़क कर
गिरा ताल में छप से
मछली खा गई गप से