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मछली या समंदर / जेन्नी शबनम
Kavita Kosh से
बिना अपनी सहमति
अभिशप्त गलियों से
महज गुजरना
बदनामी का सबब बन जाता है
वैसे ही जैसे
किसी संक्रमित गली की
बहती हुई हवा
कोढ़ की तरह
मन में घाव बना देती है,
विवशता की कहानी
जाने कैसे समंदर में विलीन हो जाती है
और जब मछली
जाल में पकड़ कर आती है
तो समंदर निष्कलंक रह जाता है
सिर्फ मछली क्रूरता का दंश झेलती है !
एक सवाल
दुनिया से...
घात किसने लगाया
मछली या समंदर ने ?
(फरवरी 1, 2012)