भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मछली / एस. मनोज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलो देखने ताल तलैया
संग चलेंगे दीदी भैया

गरई, बुआरी, पोठिया मछली
ताल तलैया से है निकली

मांगुर, हिलसा, रोहू, इचना
मार के लाया है रमचबना
 
भुन्ना, गौंची, सिंग्धी, बामी
सब मछली में हैं ये नामी।