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मछुआरा / नरेश अग्रवाल
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सुबह - सुबह
अपनी छोटी सी नाव और जाल लिए
निकल पड़ा है मछुआरा
बीचों-बीच समुद्र में
इतना शक्तिशाली वेग समुद्र का
और वो अकेला
थोड़ा सा ज्ञान नौका चलाने का
और थोड़ी सी ताकत तैरने की
भाग्य ने दिया जब तक साथ,
बने रहे तब तक
अथवा गये तो फिर लौटे ही नहीं
यह नाव और जाल
जैसा उसका घोड़ा और तलवार
छीनना है भोजन समुद्र से
और कितना नम्र होगा समुद्र
जो हर बार जीतने उसे देता होगा ।