मज़बूत राष्ट्र में जो टूट नहीं पाए / फ़रीद खान
1
राष्ट्र की सबसे मज़बूत सरकार,
अपने क़दमों से जब नापती है एक राष्ट्र की आबादी
तो उसे वैज्ञानिक भाषा में बुलडोज़र कहते हैं ।
अब स्मृतियों और सपनों का
एक विशाल मलबा बनेगा एक राष्ट्र
और उस मलबे पर फहराएगा एक मज़बूत ध्वज ।
आ रही है हर दिशा से
मज़बूत सरकार के क़दमों की आहट ।
2
दारा शिकोह और सरमद के क़त्ल के बाद भी
एक मज़बूत राष्ट्र में कुछ लोग टूट नहीं पाए ।
भगत सिंह और महात्मा गांधी के क़त्ल के बाद भी
मज़बूत राष्ट्र में कुछ लोग टूट नहीं पाए ।
दाभोलकर, पानसारे, कलबुर्गी,
गौरी लंकेश और चन्दू के क़त्ल के बाद भी
सत्ता के विशाल प्रेक्षागृह में जारी
क़त्ल के अतिरंजित मंचन के बाद भी
जिनको सबक नहीं मिला ।
जो एक वक़्त खाकर भी भूखों नहीं मरे,
जिनकी आस्था का संयम ही हत्यारों को चुभता है ।
कानों में गरम और पिघला उकसानेवाला
नारा डाले जाने के बावजूद, जो धैर्य की सांस लेते रहे ।
उनके धैर्य को नापने को
उठे हैं मज़बूत राष्ट्र के मज़बूत क़दम ।