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मजूर / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
तेल रो बो कूओ
जकै स्यूं
फैक्टरयां
कारां
मोटरां
अर राज चालै
पण
इण रीतै कुंवे मांय
कणां ईं कोई
कीं नीं घालै !