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मड़वा पर दुलहा का आना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे दुलहा चुमायेगे मनको मड़वा बइसाउल गे।
होरे ब्राह्मण के रूपे हे बिषहरी मड़वाहीं ठाढ़ी हे॥
होरे वेद जे पढ़े हे माता मैना बिषहरी हे।
होरे दान जे देहल हो बासू देवे तो लागल हे॥
होरे सवा लाख दान कैलक बासू सौदागर रे।
होरे पांच लाख दान कैलक देल हरखाई रे॥
होरे बिहुला परिवार रे दैवा देखते दहेज रे।
होरे कन्यादान करे दे दैवा बासू सौदागर रे॥
होरे तिल कुछ लिये रे बासू कन्यादान करे रे।
होरे हाथो हाथ बिहुला के बाला कै सौंपल रे॥
होरे कन्यादान करिये रे बासू नैना ढारी लोर रे।
होरे सिन्दूर चढ़ावे हे माता मैना बिषहरी हे॥
होरे सेनूर दान करै बाला बिहुला के आवे हे।
होरे दुलहा चुमायहे मनिको कोहबर भेजल हे॥

होरे कोहबर देखै दैवा नागा जै भरल रे।
होरे कर जोरी विनती जे करै साहुनी गे॥
होरे मोरा त कलंक है माता मैना बिषहरी हे।
होरे सरवन सुनले हे माता मैना बिषहरी हे॥
होरेबागसब आवे हे माता केलके अलोप हे।
होरे बाला बिहुला रे दैवा कोहबरवा बैठल हे॥
होरे उखे डोलावे भैया हँसा-हँसा भाई रे।
होरे चुन्दरी देतलागमरे दैवा मानिको साहुनी हे॥
होरे पीछहुसे आवे बाला चुन्दरी सोखले रे।
होरे साहुनी कहले बाबा चुन्दरी पीछले रे॥
होरे कहाँ गेल किए रे भेल बासू सौदागर रे।
होरे समदहु आवे रे बनियाँ बरतो जेहोरे लोग हे॥
होरे समदहु आवे रे बनियाँ बाला तो बिहुला हे।
होरे रतिए विवाह जे भेल रतिए समदहु हे॥
होरे राति चलली गे बिहुला ससुर के राज गे।
होरे काँदे तो लगली हे बासू धरती लोटावै हे॥
होरे नगरके लोग रे कांदे हिला घड़ी तो पहर रे।
होरे समदे लागली गे बिहुला बाबा गीरमालगी गे॥
होरे तोरे हमरे ही बाबा एते दरशन हे।
होरे समदे लगली बिहुला माता गीमालागी गे॥
होरे महरे तोहरे गे माता एते दरशन हे।
होरे समदे लगलो गे बिहुला भइया गीरमालगी गे॥
होरे तोहरे हमार होय भैया एते दरशन हे।

होरे समदे लागली गे बिहुला भौजीगीरमालगी हे।
होरे तोहरे हमरे है भौजी एते दर्शन हे॥
होरे कहल सुनल हे भौजी माफ तो करबे हे।
होरे समदे लगलीगे बिहुला अरोसिन पड़ोसिन हे॥
होरे तोहरे हमारे सखी सब एते दरशन हे।
होरे कहल सुनल हे सखी सब उजानी नगर हे॥
होरे सपना से भेल हे सखी सब उजानी नगर हे।
होरे समदी समदोगे बिहुला आएली आवास हे॥
होरे कांदे तो लागली बिहुला घड़ी तो पहर हे।
होरे नगर के लोग रे कांदे जइसा धेनु गाय रे॥
होरे ऐसन कांदे रे दैवा धरती लौटावे रे।
डोरे डोलिया तैयारे दैवा कता चढ़ि जाय गे॥
होरे कौने निरमोहिया रे दैवा डोलिया फंदावेरे।
होरे कौने निरमोहिया रे दैवा डोलिया चढ़ावेरे॥
होरे कांदले गे बिहुला भीजल पटोर गे।
होरे कांदिये खीजिगे बिहुला डोलिया चढ़ली गे॥
होरे चली वरु भेली गे बिहुला चौपाई नगर रे।
होरे शहनाई बजाए रे भैया लोकनी चलल रे॥