मतना बोलै राजबाला कदे मारे जां बिन आई / मेहर सिंह
काली पीली रात अन्धेरी घटा जोर की छाई
मतना बोलै राजबाला कदे मारे जां बिन आई।टेक
कदे कदे तै अमर कोट म्हं आनन्द ठाठ रहैं थे
मेरे तेरे दुश्मन बाला बारा बाट रहैं थे
आनन्द के म्हं मगन रहैं और चहमाट रहैं थें
नौकर चाकर टहल करण नै तीन सौ साठ रहैं थे
याणे से का बाप गुजरग्या फेर मरगी जननी माई।
एक बणियां की करूं नौकरी ले खोल सुणाद्यूं सारी
एक दिन बणिये ने छोह म्हं आकै मेरे बोली मारी
के जीणां यो मेरे कर्म मैं थूकै दुनियां सारी
इसा सै तो ब्याह ले नै तेरी हाडै मांग कंवारी
लाला जी की बात सुणी मनैं पेटी रफल बगाई।
तेरे ब्याहवण की चिट्ठी लिखकै भेज दिया हलकारा
तेरे बाप नैं कर्ज मांग कै मोटा जुल्म गुजार्या
बीस हजार रुपये का लिया एक लाला तै कर्ज उधारा
इतनी आसंग ना थी मेरे म्हं बिपता पड़गी भारया
उस करजे के तारण खातिर बणे बाहण और भाई।
अकलमन्द कै लाग बताई समझणियां की मर सै
न्यूं तो मैं भी जाण गया कोए होणी का चक्कर सै
समझदार नैं दुनियां के म्हां बदनामी का डर सैं
कहे मेहर सिंह मतना डरियो सबका साथी हर सै
इस ईश्वर की लीला न्यारी दे बना पहाड़ नैं राई।