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मतना मारै लात का-लिए समय आवणी जाणी / मेहर सिंह

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वार्ता- जब राजा घड़े को उठा कर चलता है तो रास्ते में ठोकर लगकर घड़ा गिर कर फूट जाता है। इस पर कालिया भंगी क्रोध में हरिया को लात मारता है। राजा अपने मन में क्या सोचता है और क्या कहता है-

कोण किसै का बेटा बेटी कोण किसै की राणी
मतना मारै लात का-लिए समय आवणी जाणी।टेक

टोटे खोटे मोटे में कोए बिरला ऐ दिल डाटै सै
बखत पड़े पै आदम देह का के बेरा पाटै सै
आज कोण दुःख नै बांटै सै होरी विपता ठाणी।

बचनां के चक्कर में फंस कै होया कांशी जी में आणा
टोटे कै म्हां आज कालिए मेरा होग्या दुर्बल बाणा
मेरी गैल कर्या सै धंगताणा या भूख कालजा खाणी।

28 दिन मनै आऐ नै हो लिए राछ किसै का ठाया ना
तेरी दुकान पर तै काले तोला तलक तुलाया ना
मनै भोजन तक भी खाया ना आज पड़ै नयन तै पाणी।

हर कै आगै नर के करले अपणै हाथ नहीं सै
टोटे कै म्हां माणस की काले रहती जात नहीं सै
मिलकै धोखा दिया मेहर सिंह या होगी दुनियां स्याणी।