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मतना लाओ वार सखी / रणवीर सिंह दहिया

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एक दिन झांसी की रानी लक्ष्मी बाई भी महिला सैनिकों की ट्रेनिंग में शामिल होती हैं। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद लक्ष्मी बाई अपनी महिला सेना पति झलकारी बाई से कहती हैं- क्या बात है झलकारी बाई औरतो की संख्या बढ़ नहीं रही तुम्हारी सेना में। झलकारी बाई कहती हैं- रानी जी ये मर्द अपनी औरतों को सेना में भेजना ही नहीं चाहते। कहते हैं औरतें भी कहीं सेना में जाती हैं? रानी लक्ष्मी बाई ठण्डी सांस भर कर जवाब देती हैं- ठीक कहती हो झलकारी बाई। मैनै जब खुद हथियार उठाये थे तो राव परिवार को पसन्द नहीं आये थे। यह पुरुषों की नस्ल है ही ऐसी। मगर झलकारी बाई ने दुगने उत्साह के साथ गांव-गांव जाकर महिलाओं को प्रोत्साहित करना शुरू किया। महिलाओं की टोली बना कर वह गांव-गांव जाती और गीत गा-गाकर औरतों को प्रोत्साहित करती थी। कैसे भलाः

मतना लाओ वार सखी, हो जाओ तैयार सखी
ठाल्यो सब हथियार सखी, लड़नी पड़ै लड़ाई हे॥
गांव गली शहर कूंचे मैं, इज्जत म्हारी महफूज नहीं
फिरंगी करै अत्याचार करता कोए बी महसूस नहीं
नहीं लड़ाई आसान सखी युद्ध होगा घमासान सखी
मारां फिरंगी शैतान सखी, ईब मतना करो समाई हे॥
रूढ़िवादी विचार क्यों दखे बनकै ये दीवार खड़े
बन्दूक ठाई औरत नै खिलाफ हुये प्रचार बड़े
फिरंगी गेरता फूट सखी, घणी मचाई लूट सखी
ईब हम लेवां ऊठ सखी, समों लड़न की आई हे॥
फिरंगी घणा फरेबी पाया फंदा घाल दिया फांसी का
रानी झांसी तार बिठाई, राज खोंस लिया झांसी का
नहीं सहां अपमान सखी, आजादी का अभियान सखी
आज आया इम्तिहान सखी, डंके की चोट बताई हे॥
जीणा सै तो लड़णा होगा, संघर्ष हमारा नारा बहना
पलटन बनाकै कदम बढ़ै, दूर नहीं किनारा बहना
अब तो उँचा बोल सखी, झिझक ले अब खोल सखी
जाये फिरंगी डोल सखी, रणबीर अलख जगाई हे॥