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मत कर मगर से बैर अरे यार शिवचरन / श्याम कश्यप बेचैन

मत कर मगर से बैर, अरे यार शिवचरन !
चुपचाप सिर्फ़ तैर, अरे यार शिवचरन !

मत कर हवा में सैर, अरे यार शिवचरन !
खूँटे में बाँध पैर, अरे यार शिवचरन !

पानी में गिर पड़ा है फिसल के तो क्या हुआ
डुबकी लगा के तैर, अरे यार शिवचरन !

मत चल क़दम मिला के ज़माने के साथ-साथ
ख़ुद को लिए बगै़र, अरे यार शिवचरन !

करना है घर की बात तो बाहर निकल के कर
घर में भरे हैं ग़ैर, अरे यार शिवचरन !