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मत किसी की बात को दिल ज़े लगाना / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
मत किसी की बात को दिल से लगाना ।
बेरहम है हो गया अब यह जमाना।।
सब उड़ायेंगे हँसी सुन बात तेरी
मत किसी को दर्द तुम अपना सुनाना।।
मौन ही अब बाँट लेगा पीर सारी
अश्रु आँखों में सहेजे मुस्कुराना।।
टीसते जो जख्म उन को टीसने दो
सह न पाओ पर किसी को मत दिखाना।।
वक्त का पहिया हमेशा घूमता है
एक दिन सब भूल जायेगा जमाना।।
आज के किस्से भुला देंगे सभी तब
जब नया उनको मिलेगा इक फसाना।।
बस तुम्हें ही दुख मिला ऐसा नहीं है
दर्द का हर एक दिल में है ठिकाना।।