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मत रोवै नार रै मेरे बस का काम नहीं सै / मेहर सिंह

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वार्ता- राजा आगे कहता है

मत रोवै नार रै मेरे बस का काम नहीं सै।टेक

न्यूं तै मैं भी जाण गया न्यूं तै कोन्या बात बणैं
लाश नै ले उठा घाट तै कद का कह रहा सूं तनै
बिना महशुल फुंकै नहीं मुर्दा सवा रुपया दे मनै
चाली जा बदकार रै जै गठड़ी में दाम नहीं सै।

या तूं मन में सोच लिए तनै पहलम बात नहीं जाणी
वो भी समय मेरे याद सै जब भंगी कै भरुंथा पाणी
तनै नहीं घड़े कै हाथ लंबाया तूं बैठी थी मिशराणी
ठा ले जा बेगार रै यो किसे दीन का चाम नहीं सै।

बोलां कातै घा भरता ना घा भरज्या सै फालै का
तूं आडे हे चाली जा यो बखत नहीं सै टालै का
सवा रुपया कर का लूं सूं बुढ़ढे और बाले का
बिना महसूल मुर्दा आड़ै फूंकण देण का काम नहीं सै।

बोल माणस के दुख्या करैं और के दुखै सै लाठी
वो भी समय मेरै याद सै जब घड़ा ठवावण तै नाटी
अपणा सारा दुःख रो लूंगा बरोने तै जा कै जाटी
कहै मेहर सिंह मेरे यार रै के मेरे गुरु का गाम नहीं सै