भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मत रो मेरे पंजाब / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
Kavita Kosh से
जब तक किसान मरते नहीं
तब तक रुपए मिलते नहीं
यही किस्सा पंजाब का है
एक सोती हुई सरकार का है
खुले बाजार में जब
अनाज सड़ रहा था
ब्रीच कैंडी अस्पताल में
ऑपरेशन चल रहा था
घुटने के लिए यज्ञ हुए
लेकिन पंजाब को आखिर कौन पूछे
सरकार ने एक साल पूरा किया
लेकिन आश्चर्य है इनको
पंजाब का दर्द सुनाई नहीं दिया।