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मथवा जे आयल महादेव बड़े बड़े जटा / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मथवा<ref>माथे पर। सिर पर</ref> जे आयल<ref>आया</ref> महादेव बड़े बड़े जटा।
कँधवा<ref>काँधे पर</ref> जे आयल महादेव बघिनी के छला<ref>बाघ-छाल, बाघम्बर</ref>॥1॥
घर से बाहर भेली<ref>हुई</ref> सासु मनाइन<ref>मैना, पार्वती की माँ</ref>।
गोहुमन सरप छोड़ल फुफकारी॥2॥
किया<ref>क्यों</ref> सासु किया सासु गेल डेराइ।
तोरा लेखे<ref>वास्ते</ref> अहे सासु गेहुमन साँप।
मोरा लेखे अहे सासु गजमोती हार॥3॥
कथिकेरा<ref>किस चीज का</ref> दियवा, कथिकेरा बाती।
कथिकेरा तेलवा, जरेला<ref>जलता है</ref> सारी राती<ref>रात्रि</ref>॥4॥
जरु<ref>जलो</ref> दीप जरु दीप चारो पहर राती।
जब लगि दुलहा दुलहिन खेले जुआसारी<ref>जूआ</ref>॥5॥
जर गेल दियवा सपुरन<ref>सम्पूर्ण, समाप्त</ref> भेल बाती।
खेलहुँ न पयलऽ<ref>पाया</ref> दुलरुआ<ref>दुलारा, प्यारा</ref> चारो पहर राती॥6॥
तोरहिं जँघिया<ref>जाँघ</ref> हो परभु, निंदो<ref>नींद भी</ref> न आवे।
बाबा के जँघिया हो परभु, निंद भल आवे॥7॥
बाबा के जँघिया हे सुघइ<ref>सुघरी, सुन्दरी</ref> दिन दुइ-चार।
मोरा जँघिया हो सुघइ, जनम सनेह<ref>जन्म-भर का स्नेह</ref>॥8॥

शब्दार्थ
<references/>