भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मदद का भरोसा दिला करके लूटे / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
मदद का भरोसा दिला करके लूटे
गरीबों को अपना बना करके लूटे
उसी के हैं चर्चे हमारे शहर में
हसीं ख़्वाब झूठे दिखा करके लूटे
उसी को हैं मिलते सड़क, पुल के ठेके
वो फ़र्ज़ी रसीदें लगा करके लूटे
बहुत बार उसकी हुई जाँच लेकिन
हुआ क्या, कमीशन खिला करके लूटे
ग़ज़ब का मदारी मिला है वो साहिब
बड़े हाक़िमों को मिला करके लूटे
अकेले नहीं योजनाएं वो खाता
बड़े अफसरों को मिला करके लूटे
किसी को तनिक भी न लगती भनक है
वो पर्दे के पीछे से जाकर के लूटे
बड़ा बेरहम संगदिल है वो का़तिल
मगर प्यार से मुस्करा करके लूटे