Last modified on 24 मई 2010, at 10:39

मदिराधर चुंबन प्रसन्न मन / सुमित्रानंदन पंत

मदिराधर चुंबन, प्रसन्न मन,
मेरा यही भजन औ’ पूजन!
प्रकृति वधू से पूछा मैंने
प्रेयसि, तुझको दूँ क्या स्त्री-धन?
बोली, प्रिय, तेरा प्रसन्न मन
मेरा यौतुक, मेरा स्त्री धन!