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मदिराधर चुंबन प्रसन्न मन / सुमित्रानंदन पंत

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मदिराधर चुंबन, प्रसन्न मन,
मेरा यही भजन औ’ पूजन!
प्रकृति वधू से पूछा मैंने
प्रेयसि, तुझको दूँ क्या स्त्री-धन?
बोली, प्रिय, तेरा प्रसन्न मन
मेरा यौतुक, मेरा स्त्री धन!