भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मदिरा मदिर पिए जाते हो / मृदुला झा
Kavita Kosh से
(मदिरा मदिर पिए जाते होए / मृदुला झा से पुनर्निर्देशित)
सर इल्ज़ाम लिए जाते हो।
नील गगन में फैली आभा,
क्यों घनश्याम किए जाते हो।
नभ की लाली की आहट सुन,
क्यों बेजान जिए जाते हो।
हर पल ग़म सहकर भी तुम क्यों,
अपने ओठ सिये जाते हो।
निकलो मन की गहन गुफा से,
क्यों गुमनाम हिए जाते हो।