अन्ताल फोर्गाच के लिए 
आधी रात के करीब मेरी माँ ने मुझे जन्म दिया 
सुबह तक वह मर चुकी थी; बुखार उसे ले गया 
और मैं खलिहानों में अलंकृत शब्दों में 
प्रसव और ताकतवर माताओं के बारे में सोचता हूँ 
एक बार, आधी रात को, फिकर मेरे पिता को 
अस्पताल के बिस्तर से, मुँह बाए
डॉक्टरों के बीच में से ले गई; मैंने तब 
उन लाल आँखों वाले लोगों को वहीं पीछे छोड़ दिया 
और अकेला रहा हूँ, बहुत अरसे से 
घरों के बाहर रह रहा हूँ। 
अपने पूर्वजों को मैं भूल गया 
मेरे कोई वारिस नहीं होंगे क्योंकि मैं कोई वारिस चाहता नहीं 
मैं अपनी प्रियतमा की निष्फल गोद 
पीले चांद के तले अपनी बाँहों में ले लेता हूँ 
और यकीन नहीं कर सकता कि वह मुझे चाहती है, 
कभी-कभी, चुम्बनों के बीच, मैं सोचता हूँ 
कि वह ख़राब है, लेकिन वह सिर्फ़ बाँझ है और उदास 
लेकिन मैं खुद भी उदास हूँ 
और जब दिन उगने के वक़्त सितारे बुलाते हैं 
तो सब कुछ के बावजूद 
आलिंगन करते हुए हम साथ रवाना होते हैं, हम दोनों, 
सूरज के उजाले की तरफ़
रचनाकाल : 28 सितम्बर 1929
अंग्रेज़ी से अनुवाद : विष्णु खरे