भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मध्यवर्गीय आदमी भूल जाता है / गुँजन श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
मंच पर खड़ा आपका प्रिय नेता
दे रहा होता है जब
अपनी उपलब्धियों का श्रेय
सवा करोड़ जनता के विश्वास
और उसके मताधिकार को तब
उसी मंच के नीचे खड़ा
गुमान से मुस्कुराता नादान ग़रीब
और निम्न मध्यमवर्गीय आदमी
भूल जाता है :
एक सुई के अभाव में हुई
बेटी की मृत्यु
कर्ज़ के तनाव से किसान पिता
की आत्महत्या
बेटे की बेरोजगारी
बहनों पर हुए बलात्कार
आख़िर
और हज़ारों मील पैदल चलते हुए
उसके भाई, भाभी और उनके
दुधमुँहे बच्चे की मृत्यु का
गुनहगार कौन है?
और इसका श्रेय
किसको जाना चाहिए !